कुछ चीज़ें मिलीं हैं तुम्हारी
पुरानी किताब के पन्नों में
कंधे पर सिर रख बिताये
उन ढेर सारे घंटों में
शर्ट पर गिराई उन आंसुओं की बूँदों में
तुम्हारी, खुशबू मिली है
शर्ट के उन कंधों में,
सुनो ! कुछ लिखावट मिली है तुम्हारी
उन आखिरी पन्नों में ।
याद है तुम्हें
लाइब्रेरी में पास बैठकर
पन्ने पलटने के बहाने
हाथ मेरा तुमसे टकराया था,
बस वही छुअन मिली है
डायरी के गुलाबी पन्नों में
सुनो ! कुछ चीज़ें मिली हैं तुम्हारी
पुरानी किताब के पन्नों में ।
तुम्हारा दिया वो लाल गुलाब
आज फिर होंठों से लगाया है
वही कशिश मिली है
आंसू टपक कर सिकुड़े उन पन्नों में
सुनो ! कुछ चीज़ें मिली हैं तुम्हारी
पुरानी किताब के पन्नों में ।
शायरियों को घर मिला था
जिन यादों के साये में
उन्ही को बेदखल किया है
अपने दिल के पन्नों में
सुनो ! कुछ चीज़ें मिली हैं
पुरानी किताब के पन्नों में ।
-कुमार
-कुमार
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