Thursday, March 21, 2019

ख्वाब




एक हसीं ख्वाब लिखूँ या
एक रंगी शाम लिखूँ
रातों का वो शबाब लिखूँ या
शामों का वो जाम लिखूँ



क्या तेरी मुस्कान बहार लिखूँ या
दिल को मेरे बेक़रार लिखूँ
आँखों को तेरी शराब लिखूं या
खुद को शराबी बीमार लिखूँ

क्या तुझे मैं अपना लिखूँ या
इस जनम भी तुझे उधार लिखूँ

-कुमार

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